इसकी कोई न है दवाई। जब तक दवाई न मिले घरो में रहे बहनो ओर भाई ।। इसकी कोई न है दवाई। जब तक दवाई न मिले घरो में रहे बहनो ओर भाई ।।
तू सब जगह है... तू सब जगह है...
सुना रहा मैं आपको हर काव्य की दास्तान। सुना रहा मैं आपको हर काव्य की दास्तान।
आंखोंं में लहू, दिल में चिंगारी मिटा दो यह समाज की महामारी आंखोंं में लहू, दिल में चिंगारी मिटा दो यह समाज की महामारी
किचन, हॉल, बेडरूम बाकी सब सामसुम। किचन, हॉल, बेडरूम बाकी सब सामसुम।
शब्द को नव अर्थ देने की क्रिया में- पस्त हूँ मैं, क्योंकि कविता लिख रहा हूँ। शब्द को नव अर्थ देने की क्रिया में- पस्त हूँ मैं, क्योंकि कविता लिख रहा हूँ।